सोचता हूँ आखिर क्यों मैं दूर हूँ तुमसे सवालों के जवाब नहीं मिलते जवाबों से नये सवाल है निकलते कितनी भी की कोशिशे मैंने पर तुम कभी थे नहीं साथ मेरे चलते इंतजार करता रह गया मैं सुबह सूरज के निकलने से शाम उसके ढलते ढलते और फिर पूछते है सब मुझसे कि आखिर क्यूँ अब भी मैं दूर हूँ तुमसे #दूर #हूँ #तुमसे