कमियां हम सब में होती हैं कुछ उसे छुपाते हैं और कुछ उन्हें ठीक करना सिखाते हैं... इसी उम्मीद से जब मैंने स्कूल में अपना पहला कदम रखा मुझे हौसला देने वाला वो आपका हाथ दिखा। ममतामयी, स्नेहमयी दिखी मां सी आप मे मूरत न फिर किसी कठिनाई की देखी मैने सूरत हंसता हुआ आपका उज्ज्वल चेहरा अलौकिक छाप छोड़े मन मे गहरा...! आप विदा जो ले रहीं विद्यालय से हृदय से हमें विदा न करना जैसे वृक्ष जुड़ा अपनी शाखों से वैसे ही अपने हृदय में हमको रखना...! 12345