White महकती चिठ्ठियों में तुम्हारे साँसों का इत्र बसा है... यह प्रेम के पुरवा झोंके जब -जब गुजरते हैं समीर बन कर मानो तुमने मुझे आवाज दे दिया हो। मैं अपनी मोहक कल्पनाओं में खो जाता हूँ... बना लेता हूँ तुम्हारी वही आकर्षक छवि जिसपर मैं पहली बार में ही मंत्रमुग्ध हो तुम्हारे दुपट्टे के कोर को थाम खींचा चला आया था। यह कस्तूरी से सुगन्धित यादें मुझे बहुत तड़पाती हैं। पंडिताइन!मैनें आज भी यह सब चिट्ठियां सहेज कर रखी हैं। जब तुम मेरे आँगन में महावर भरे पैरों से चावल के कलश को गिरा कर मेरी वामांगी बन कर आओगी..तब रात्रि के किसी पहर मैं तुम्हारी गोद में सिर रख कर तुमसे यह सभी चिठ्ठियां सुनूँगा...।। #अज्ञात ❣️❣️ ©मलंग #kashi_Aur_tu