अगर चिल्ला पाते वो भी उनकी भी आवाज दूर तलक जाती पर ना जाने क्यों छोटे छोटे दुखो की चीखें सुन बड़े बड़े दुख खामोश बैठे हैं हम भी अजीब शख्सियत है यार ना जाने दर्द बाँटने से डरते हैं, या मलहम में लगे नमक से। शायद तभी रोज दुनिया से मुस्कुराकर मिलते हैं। अगर चिल्ला पाते वो भी उनकी भी आवाज दूर तलक जाती पर ना जाने क्यों छोटे छोटे दुखो की चीखें सुन बड़े बड़े दुख खामोश बैठे हैं हम भी अजीब शख्सियत है यार ना जाने दर्द बाँटने से डरते हैं, या मलहम में लगे नमक।