प्रेम कहानी :- मैं धरती, तुम चंद्र प्रिय मैं घूमू सूरज के भवति, और तुम मेरी ओर.... मैं तपती , जलती तुम शीतल ठंड प्रिय l प्रेम तुम्हारा ज्यों चंद्र कलाओं सा, कभी पूनम, कभी अमावस प्रिय l तेरी चाँदनी करती लुका छिपी, ज्यों संग करे रोहिणी सा l प्यार तेरा है ज्वार भाटा सा, जो हलचल करे मेरे मन सागर में l तेरी शीतल चाँदनी में, डूबा हुआ है मेरा सारा हृदय मेरे हो...... मेरे ही रहना, प्रेम रहे सदेव l ©Spl Someone ❤️ #धरती चांद ❤️