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आओ... बैठते है, उस आसमान के तले, जहाँ दिन ढलने के

आओ... बैठते है,
उस आसमान के तले,
 जहाँ दिन ढलने के बाद,
चांद अपनी रोशनी के साथ होता है,
सितारें जोड़ियों में दिखते है,
जहां पेड़ की टहनियां गाती है,
हवाएं लय में रहती है, 
वहीं, जहां नदियां शांत बहती रहती है,
सब एक स्थिरता के तलाश में गुम होते है,
आओ लिखते है हम भी अपने ख़्वाब,
अपने राज़, और दे देंगे वो क़िताब हम आसमान को,
इस उम्मीद में की, एक दिन वो ख़्वाब, 
हमारा हकीकत होगा..!!

©Vishakha Tripathi
  #vishakhatripathi