सितारा नूर कायम है तारों का, आसमां के आबशारों में। चांद का रुतबा है काबिज़,रात के इन नज़ारों में। ख़ुदाई इश्क़ की कायम, जहां के सब इंसानों में। नहीं मिलता सुकूं मुझको, जाके मस्जिद मज़ारों में। करूँ कितनी भी मैं कोशिश, छिपा लूं हाल ए दिल उनसे। झांकती रहती वो आंखें, पार दिल की दरारों में। हिज्र के मौसम हैं माना,दिल को पर एक तसल्ली है। उसका वादा था वो मिलने, आएगा इन बहारों में। दवा ए दिल है मय मेरी, लिखा है छोड़ दें इसको। खबर ये मुख्तलिफ़ से क्यों, छपी है इन अखबारों में। ©deepesh singh #Nojoto #nojotourdu #nojotohindi #Trending #WForWriters