ठहरे हुए समुंदर में डूबी हस्ती बह जाती है, जब काम, क्रोध की चिंता में, रह जाता कोई फर्क नही, तब तपसी प्रेम की ज्वाला बन दिल में बहने का, कोई अर्थ नही... ©Vikram S.Rana #koi_arth_nhi #ranalyrical #indianpoetry #Marriage