जो कहना चाहूँ वो पहले ही जान जाते हैं वो पापा हैं ना चुटकी में पहचान जाते हैं घर से निकले, दिल कहता कहूँ ध्यान से जाना पर ना जाने यह लफ्ज़ कहाँ अनजान जाते हैं उनके जन्मदिन पर सोचा उन्हें कसकर गले लगा लूँ यह आजकल के लड़के नामुमकिन सपने ठान जाते हैं वो ध्यान रखते सिक्कों की खनखनाहट कमी तो नहीं आँसू और पसीना दोनों ही एक समान जाते हैं तराजू के पलड़ों पर गुस्सा प्यार रक्खे इस कदर सारे रिश्ते बेझिझक जुड़े रहने का मान जाते हैं तेरी उंगली आज तक थाम रखें हैं वो कासिम यह बुरी आदतें तुझे छूकर सीधे कब्रिस्तान जाते हैं #poetry #father