युद्ध हुआ तो मानवता को बड़ा मूल्य चुकाना है क्षत विक्षत अंगों लाशों से अम्बर पट जाना है। सोचा है कितनी माँओं की कोख सूनी होगी कितनी मांगों हाय उजड जाएगा सिंदूर कई बच्चों के सर से बाप का साया उठ जाना है। लाशों पर फिर तुम फैलाना साम्राज्य अपना लाहनत है मानवता का इस तरह गिद्ध हो जानाहै। कई बहनों के भाई आ न पायेंगे रक्षाबंधन में कितने ही दोस्तों का यार लुट जायेगा याराना है। हिटलर स्टालिन माओत्से मुसोलिनी और गद्दाफी क्या विश्व विनाश को ये तानाशाह क्या थे नाकाफी हिरोशिमा नागासाकी सीरिया का कुछ स्मरण करो विश्व बंधुत्व के लिए हम सबको नहीं इन्हें दोहराना है। विस्तारवाद की जिद छोड़ो इससे कुछ हासिल न होगा विकास पथ पर अग्रसर होने को मिल के आगे आना है। युद्ध विभीषिका