सुनो चाँद... ज़र्रा-ज़र्रा होकर खुद को मुझमें* मिलाने लगे हो. रफ्ता-रफ्ता मुझे* इस कदर चाहने लगे हो .. रात* का पैगाम,अपनी चाहत के नाम ##रफ्ता रफ्ता ##चाहत#nojotohindi shayri#@