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दोहा:– मन:5 मन है लोक लुभावना, मन करता श्रृंगार।

दोहा:– मन:5

मन है लोक लुभावना, मन करता श्रृंगार।
वाणी  में  घोले शहद, मन  उगले अंगार।५।

©दिनेश कुशभुवनपुरी
  #दोहा_मन #5