चलते चलते थक सा गया हूं,मिली नहीं मंजिल, राहों में घने अंधेरे है फिर भी ठहरता नहीं दिल। ख़ामोश वीरान राह पर चलता जा रहा हूं तन्हां, दरबदर भटक रहा हूं,जाने कहां मिलेगी पनाह। चले जा रहा हूं बस न पता न ही कोई ठिकाना, करना नहीं आराम,चलते चलते रात है बिताना। JP lodhi 18/06/2021 ©J P Lodhi. #Twowords #Nojotowriters #Poetryunplugged #Nojotonews #Nojotofilms #NojotoFamily #Nojototeam #Poeyry