किसी पुराने खंडहर की तरह अभी भी खड़ी है तुम्हारी स्मृतियाँ एक भूली बिसरी याद की तरह पुराने हो चुके हैं इस किले की अब एक एक इट दरकने लगी है एक वक्त के बाद, टूटने लगती हैं उम्मीदों की नीव, कमजोर पड़ता है विश्वास... और धड़ाम की आवाज से गिर जाता है स्मृतियों का किला बिल्कुल किसी पुराने खंडहर की तरह #कविता #प्रेम #खंडहर #एकांत ©Ravi kanojia #walkingalone