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गांव में एक किसान डरा सहमा हुआ। फिर से एक नया जुआ

गांव में एक किसान डरा सहमा हुआ।
फिर से एक नया जुआ खेलने खड़ा हुआ।।

कुछ पुराने घावों को भूल कर तैयार हुआ।
हाथ उसके कुछ न था फिर भी अड़ा हुआ।।

कुछ दाने बोए उसने धरा की गोद में।
इस विश्वास से मिलेगा कुछ अगले दौर में।।

कुछ समय से मे फसल लहलहाती दिखी जोर की।
और फिर बारिश हुई झमाझम जोर शोर की।।

 समय बीतते सारे खेत नष्ट हो गए।
उस किसान के हौसले भी पस्त हो गए।।

  साहूकार, कर्जदार घर उसके आने लगे।
उस किसान को दिन प्रतिदिन सताने लगे।।

अपने जीवन की कमाई इस धरा को सौंप चुका।
वह किसान एकदम कंगाल हो चुका।।

उस किसान के लिए बहुत बुरा दौर था।
आत्महत्या के सिवाय कोई विकल्प न और थ।। 

नन्हा अंश

©vikrant rajput nanhaansh
ndlodhi2@yahoo.com

#Drops
गांव में एक किसान डरा सहमा हुआ।
फिर से एक नया जुआ खेलने खड़ा हुआ।।

कुछ पुराने घावों को भूल कर तैयार हुआ।
हाथ उसके कुछ न था फिर भी अड़ा हुआ।।

कुछ दाने बोए उसने धरा की गोद में।
इस विश्वास से मिलेगा कुछ अगले दौर में।।

कुछ समय से मे फसल लहलहाती दिखी जोर की।
और फिर बारिश हुई झमाझम जोर शोर की।।

 समय बीतते सारे खेत नष्ट हो गए।
उस किसान के हौसले भी पस्त हो गए।।

  साहूकार, कर्जदार घर उसके आने लगे।
उस किसान को दिन प्रतिदिन सताने लगे।।

अपने जीवन की कमाई इस धरा को सौंप चुका।
वह किसान एकदम कंगाल हो चुका।।

उस किसान के लिए बहुत बुरा दौर था।
आत्महत्या के सिवाय कोई विकल्प न और थ।। 

नन्हा अंश

©vikrant rajput nanhaansh
ndlodhi2@yahoo.com

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