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जुनूँ तो है मगर आओ जुनूँ में खो जाएँ किसी को अपना

जुनूँ तो है मगर आओ जुनूँ में खो जाएँ
किसी को अपना बनाएँ किसी के हो जाएँ

जिगर के दाग़ कोई कम हैं रौशनी के लिए
मैं जागता हूँ सितारों से कह दो सो जाएँ

तुलू-ए-सुब्ह ग़म-ए-ज़िंदगी को ज़िद ये है
कि मेरे ख़्वाब के लम्हे ग़ुरूब हो जाएँ

ये सोगवार सफ़ीना भी रह के क्या होगा
उसे भी आ के मिरे नाख़ुदा डुबो जाएँ

सदी सदी के उजालों से बात होती है
तिरे ख़याल के माज़ी में क्यूँ न खो जाएँ

हम अहल-ए-दर्द चमन में इसी लिए आए
कि आँसुओं से ज़मीन-ए-चमन भिगो जाएँ

किसी की याद में आँखें हैं डबडबाई हुई
'शमीम' भीग चली रात आओ सो जाएँ

©Jashvant
  Chand Alfaaz  R. Ojha Raj Guru Andy Mann narendra bhakuni Geet Sangeet