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प्रेम और आशीष बरसा के, चली माँ फिर रूला के, फिर आऊ

 प्रेम और आशीष बरसा के,
चली माँ फिर रूला के,
फिर आऊँगी अगले बरस,
चली माँ ये वादा करके,

आँखों में है तेरे भी पानीं,
क्यों छुपानें की कर रही है, तू नादानीं,
मुझे छोड़के जानें की,
 प्रेम और आशीष बरसा के,
चली माँ फिर रूला के,
फिर आऊँगी अगले बरस,
चली माँ ये वादा करके,

आँखों में है तेरे भी पानीं,
क्यों छुपानें की कर रही है, तू नादानीं,
मुझे छोड़के जानें की,