गम है मुझे क्यूँ मैं आग कि उन लहरों मे ना सुलग पाया, गम है मुझे क्यूँ इस बेवज़ह बेमतलब कि दौड़ मैं जीवन किया ज़ाया। वो यहीं दो गज़ जमीं के तले सो रहे हैं शहादत भरी नींद भाई मेरे, गम है मुझे क्यूँ मैं साथ उन्हीं के ना दफन हो पाया। ये कैसी चीख कैसी पुकार है जो मेरे दिल को झकझोर रही है, ये कैसी दुत्कार कैसी हाहाकार है जो मेरे कानों मे असहनीय शोर दे रही है। अगर मानवता सिर्फ चाँदी के सिक्के कमाना भर है, गम है मुझे क्यूँ इन्सान बन मैं इस धरती पर आया। मांँ तो उन्की भी थीं लोरियाँ सुनाने को, पिता के सपने भी थे काँधों पे उन्के शमशान जाने को। दोस्त भी होंगे प्रेमिका भी होंगी, हसीं के ठहाके भी होंगे नाजु़क पलों कि शोखियाँ भी होंगी। वोतो चले गए मुस्कुराते हुए खोल बहन कि रक्षा का बंधन, गम है मुझे क्यूँ व्यर्थ हि भटक रहा है मेरे जीवन का साया। गम है मुझे क्यूँ मैं आग कि उन लहरों मे ना सुलग पाया, गम है मुझे क्यूँ इस बेवज़ह बेमतलब कि दौड़ मैं जीवन किया ज़ाया। #shaayavita #army #indianarmy #sainik #india #freedomfighter #nojoto