ख़ामोशी को सुन ले जो! वो शख्स हो तुम!! दूर होकर भी! रेशम की डोर सी बँधे हो! लगता है हाथों की नब्ज़ हो तुम!! हाथों से दे सकते नहीं तौफा तुम्हें! इसलिए लिखते हैं एहसास! जिसका हर एक लफ्ज़ हो तुम!! ©Deepak Bisht #कंचन-सी-ख़ामोशी