बैर क्रौध का अचार या मुरब्बा है। जिससे हमें दुख पहुँचाया उस पर हमने जो क्रोध किया वह यदि हमारे हृदय में बहुत दिनों तक टिका रहा तो वह बैर कहलाता है। इस स्थायी रूप में टिक जाने के कारण क्रोध की छिप्रता और हड़बडी तो कम हो जाती है पर वह और धैर्य, विचार और युक्ति के साथ दुखदाता को पीड़ित करने की प्रेरणा बराबर बहुत काल तक देता रहता है। क्रोथ अपना बचाव करते हुए शत्रु को पीड़ित करने की युक्ति आदि सोचने का समय नहीं देता पर बैर इसके लिए बहुत समय देता है। वास्तव में क्रोध और बैर में केवल काल का भेद है। दुख पहुँचाने के साथ ही दुखदाता को पीड़ित करने की प्रेरणा क्रोध और कुछ काल बीत जाने पर बैर है। दोस्तों शक दोस्ती का दुश्मन है अपने दिल में इसे घर बनाने ना दो #क्रोधऔरआवेश #कामरानी #मनकीबातें #yqdidi #yqaestheticthoughts #yqbaba