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पुकार रहीं हुँ तुम्हें, तुम ना सुनों वो अलग बात है

पुकार रहीं हुँ तुम्हें, तुम ना सुनों वो अलग बात है
निहारुं एक टक तुम्हें, तुम ना देखो वो अलग बात है
मेरे लिये इस भीड़ भरी दुनिया में अकेले तुम मेरे हो,
तुम्हारे लिये करोड़ो की भीड़ है ,वो अलग बात है

मेरा अखिरी सहारा तुम हो,तुम्हें मेरी ज़रुरत नहीं ,वो अलग बात है
तुम ही मेरी उम्मीद हो ,तुम्हारी ऐसी कोई मज़बूरी नहीं ,वो अलग बात है
दर पर हुँ तुम्हारे ,पर ऐसा मुझमें कुछ खास नहीं, वो अलग बात है 
मेरी एक मात्र मन्ज़िल तुम हो मेरे कृष्ण ,पर जगत मे भटक रहीं हुँ, वो अलग बात है

मेरे प्रेम तुम हो, तुम्हारे लिये प्रेमी के कतार में आखिरी नाम मेरा है, वो अलग बात है
मेरे ह्रदय में सिर्फ तुम हो, तुम्हारे ह्रदय तक ना पहुँच पायी ,वो अलग बात है
मेरी नाराज़गी तुमसे है, तुम नाराज़ नहीं होते ,वो अलग बात है
मेरी सेवा भी अधुरी रह जाती है, तुम कृपा पुरी करते हो,वो अलग बात है

©Aakriti Rai 
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