**सक का दायरा** कुछ रिश्ते मुझसे सम्भलते नहीं टूट गए जो वो अब जुड़ते नहीं कैसे बताएं ? हम दुनिया को कि आपसी कोई मेल नहीं... कुछ शर्म कुछ हया कुछ संस्कार की देन है लाख गालियाँ मिलती हैं फिर भी हम टूटते नहीं कैसे बताएं ? हम दुनिया को लड़ाई के सिवा उन्हें आता कोई खेल नहीं... माँ तेरी याद आती है जब सही बात भी गलत ठहराई जाती है कैसे बताएं ? हम दुनिया को कि मेरा कोई दोष नहीं.... सक का दायरा बढ़ता जाता है प्यार उनका नफरत में बदला जाता है कैसे बताएं ? हम दुनिया को कि उनके सक का कोई इलाज नहीं...... जब रिश्तों में विश्वास नहीं होता तो उन रिश्तों का कोई वजूद नहीं होता.. #कोराकाग़ज़ #कविसम्मेलन #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkseemayadav