सँवार नोक-पलक अबरुओं में ख़म कर दे, गिरे पड़े हुए लफ़्ज़ों को मोहतरम कर दे.!! ग़ुरूर उस पे बहुत सजता है मगर कह दो, इसी में उस का भला है ग़ुरूर कम कर दे.!! चमकने वाली है तहरीर मेरी क़िस्मत की, कोई चराग़ की लौ को ज़रा सा कम कर दे.!! यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं, मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे.!! किसी ने चूम के आँखों को ये दुआ दी थी, ज़मीन तेरी ख़ुदा मोतियों से नम कर दे.!! ----बशीर बद्र साहब---- ©Saurav Kumar #Lafz #Emotions #Love #Pyar #follow #share #Cmnt #copyright