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मैं किसी और की अमानत हूं तुझे समझा कर तुझसे दोस्त

मैं किसी और की अमानत हूं 
तुझे समझा कर तुझसे दोस्तों की थी ...
 तू समझेगा बात मेरी ,उम्मीद की थी  तुलना के लायक नहीं तू रावण से भी ...
धोखा जो किया तुमने पवित्र रिश्ते में  
वह तूने जो मेरे साथ किया ...
वाह रे वाह ! तेरी इंसानियत कितनी  हैवानियत से भरी थी ...

 written by JASSI JANGRA MANDAVRIYA 1723@9294.love
मैं किसी और की अमानत हूं 
तुझे समझा कर तुझसे दोस्तों की थी ...
 तू समझेगा बात मेरी ,उम्मीद की थी  तुलना के लायक नहीं तू रावण से भी ...
धोखा जो किया तुमने पवित्र रिश्ते में  
वह तूने जो मेरे साथ किया ...
वाह रे वाह ! तेरी इंसानियत कितनी  हैवानियत से भरी थी ...

 written by JASSI JANGRA MANDAVRIYA 1723@9294.love