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मन परिस्थितियों की तलाश में रहता है। मन माफिक परिस

मन परिस्थितियों की तलाश में रहता है। मन माफिक परिस्थिति बन जाए तो बेहिचक "ग़लत" चुन लेता है।एक बार ग़लत को सहमति और मिल जाए तो वह "ग़लत" को "नए सही "का चोला पहना देता है।

©Kishor Taragi   RAJ #udaan
मन परिस्थितियों की तलाश में रहता है। मन माफिक परिस्थिति बन जाए तो बेहिचक "ग़लत" चुन लेता है।एक बार ग़लत को सहमति और मिल जाए तो वह "ग़लत" को "नए सही "का चोला पहना देता है।

©Kishor Taragi   RAJ #udaan