एक रात का मुसाफ़िर था वो जाने कब आया और कब चला गया कर गया हमको वो इस कदर बेचैन हमको वो दर्द-ए-दिल दे गया कुछ ही लम्हात जो हमने बिताए उसके साथ एक मीठी सी याद वो दे गया नहीं भूल पाए हम उसको अब तक ताउम्र कचोटने वाला हमको ग़म दे गया ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1082 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।