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Written by Harshita ✍️ #Jazzbaat लाल लाल लहू से पन

Written by Harshita ✍️
#Jazzbaat
लाल
लाल लहू से पनपता तेरे वश का लाल
फिर अछूत कैसे हुआ वो लाल लहू का दाग़
सम्मान है हर औरत का जब हर मंदिर में भी 
मां की पूजा होती है तब हाथ जोड़ कर आराधना करते , 
घर की इज़्ज़त को दाग़ कलक का नाम कैसे देते
निवाह करती वो पांच दिन भी हर दिन की तरह निर्वाह करती
कभी उसके दर्द को ये मर्द ना समझ पाएंगे
सोच बदलो दुनियां बदली नज़र आयेगी
दर्द में राहत देते पर समझोगे कैसे बेदर्द मर्द जो ठहरे
बिना करहाये चुप छुप कर सब कर लेती जाए
मर्द को लगे ये सब तो औरतों वाली बीमारी जो हर महीने ही आए
रोजाना सी ज़िन्दगी को अपना पाडला भरी करते जाए
उसका कर्ज़ ना कभी चुकाया ना चुकाया जाए
तुम मर्द होकर भी अपनी बहन बीवी मां दोस्त का दर्द कभी समझ नही पाए
अगर इतना लहू निकले तो इंसान मर ही जाएं
पर नही मर्द बस मर्दानगी के झंडे गढ़ता जाए
इसमें मिसाल औरत करती या मर्द इसमें दाग़ का रंग नज़र आए
लाल रंग लाई सिंदूर की निशानी लाल रोली मोली शुद्ध काम का योग ,
 लाल माता को चुनरी पूजा की प्यास
लाल रग अब अछूता तब कहा गया था 
जब भोग विलास का हो त्याग, 
लाल गुलाब सबको बहुत फबता है 
फिर ये लाल लहू एकता प्रतीक क्यू नही बनता है?
महावारी कहते है जिससे ये लाल घर का वंशज भी उसी लहू में पनपता हैं
हर इंसान इंसान में लाल लहू नसों मे दौड़ता तभी इंसान खड़ा होता है
ये लहू को गंदगी या अशुद्ध क्यू समझा जाता है
     Written by Harshita ✍️
#Jazzbaat
लाल
लाल लहू से पनपता तेरे वश का लाल
फिर अछूत कैसे हुआ वो लाल लहू का दाग़
सम्मान है हर औरत का जब हर मंदिर में भी 
मां की पूजा होती है तब हाथ जोड़ कर आराधना करते , 
घर की इज़्ज़त को दाग़ कलक का नाम कैसे देते
Written by Harshita ✍️
#Jazzbaat
लाल
लाल लहू से पनपता तेरे वश का लाल
फिर अछूत कैसे हुआ वो लाल लहू का दाग़
सम्मान है हर औरत का जब हर मंदिर में भी 
मां की पूजा होती है तब हाथ जोड़ कर आराधना करते , 
घर की इज़्ज़त को दाग़ कलक का नाम कैसे देते
निवाह करती वो पांच दिन भी हर दिन की तरह निर्वाह करती
कभी उसके दर्द को ये मर्द ना समझ पाएंगे
सोच बदलो दुनियां बदली नज़र आयेगी
दर्द में राहत देते पर समझोगे कैसे बेदर्द मर्द जो ठहरे
बिना करहाये चुप छुप कर सब कर लेती जाए
मर्द को लगे ये सब तो औरतों वाली बीमारी जो हर महीने ही आए
रोजाना सी ज़िन्दगी को अपना पाडला भरी करते जाए
उसका कर्ज़ ना कभी चुकाया ना चुकाया जाए
तुम मर्द होकर भी अपनी बहन बीवी मां दोस्त का दर्द कभी समझ नही पाए
अगर इतना लहू निकले तो इंसान मर ही जाएं
पर नही मर्द बस मर्दानगी के झंडे गढ़ता जाए
इसमें मिसाल औरत करती या मर्द इसमें दाग़ का रंग नज़र आए
लाल रंग लाई सिंदूर की निशानी लाल रोली मोली शुद्ध काम का योग ,
 लाल माता को चुनरी पूजा की प्यास
लाल रग अब अछूता तब कहा गया था 
जब भोग विलास का हो त्याग, 
लाल गुलाब सबको बहुत फबता है 
फिर ये लाल लहू एकता प्रतीक क्यू नही बनता है?
महावारी कहते है जिससे ये लाल घर का वंशज भी उसी लहू में पनपता हैं
हर इंसान इंसान में लाल लहू नसों मे दौड़ता तभी इंसान खड़ा होता है
ये लहू को गंदगी या अशुद्ध क्यू समझा जाता है
     Written by Harshita ✍️
#Jazzbaat
लाल
लाल लहू से पनपता तेरे वश का लाल
फिर अछूत कैसे हुआ वो लाल लहू का दाग़
सम्मान है हर औरत का जब हर मंदिर में भी 
मां की पूजा होती है तब हाथ जोड़ कर आराधना करते , 
घर की इज़्ज़त को दाग़ कलक का नाम कैसे देते

Written by Harshita ✍️ #jazzbaat लाल लाल लहू से पनपता तेरे वश का लाल फिर अछूत कैसे हुआ वो लाल लहू का दाग़ सम्मान है हर औरत का जब हर मंदिर में भी मां की पूजा होती है तब हाथ जोड़ कर आराधना करते , घर की इज़्ज़त को दाग़ कलक का नाम कैसे देते #responsibility #yqbaba #RESPECTWOMEN #yqdidi