सुनो!जल तत्व ही तो प्रकृति के प्राण हैं। दधि,घृत,मधु,अमृत अन्न के प्रमाण है। मनुष्य ने स्वयं अपनी तृष्णा का विष मिलाया! इस लिए तो आज सबकी जोख़िम में जान है। शुद्ध प्राकृतिक जल का संरक्षण कर लीजिए! कैंसर,महामारी,हृदय,रोगों का यही निदान है। 🎀 Challenge-224 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।