White धन्य हो,हड्डी! चलते -चलते गिर जाती हो । गुमां गोश्त का, गजब दोस्त का, नीयत में भी फिर, एक गिरावट - दर्ज की गई, वो भी बिन आहट, अन्य हो, हड्डी! गिरने की आदत, फिर फिर जाती हो। ये हुस्न, इश्क का, कुछ न माजरा, एक चरित्र है, उसका वो दायरा, लांघे तोड़े गुम, गण्य हो, हड्डी! फिरने की फितरत, गिर गिर जाती हो। ©BANDHETIYA OFFICIAL #GoodNight #हड्डी ही तो है।