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तुम रूबरू भी न हो तो क्या तसव्वुर में बना लेता हू

तुम रूबरू भी
न हो तो क्या
तसव्वुर 
में बना लेता हूँ
आँखे तुम्हारी
और, नशा उनका
ढाल कर लफ्जों में
गज़ल बना लेता हूँ मैं

©हिमांशु Kulshreshtha
  तुम्हारी आँखे...

तुम्हारी आँखे... #Shayari

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