अस्मत नहीं अर्जुन नहीं माधव, नहीं अब राम आएंगे, तुम्हें खुद को बचाना है, न कोई काम आएंगे। अगर अस्मत बचानी है, जमाने के दरिंदों से- बनो चण्डी बनो काली, कभी ना पास आएंगे।। ©पंकज प्रियम मुक्तक