जलते जलते बुझ गयी वो मोमबत्ती की तरह रोशनी रंग लाये उसकी गीली मेहंदी की तरह मोम सी नरमी है उसमे और बड़ी शफ्फाक है ढल गयी सांचे मे जैसे कोई मिट्टी की तरह इश्क़ पर चर्चा ना करना तुम कभी भी सामने वो बड़ी नादां है जैसे कोई बच्ची की तरह जब जली है इर्द गिर्द भागा अंधेरा दूर दूर मुझको पानी पे चलाया कोई कश्ती की तरह शम्मा को जल जाना है, ये असल मकसद रहा वो बिखरती जाती है , पट्टी पट्टी की तरह Pic credit: self clicked #atnapowrimo #aestheticthoughts #at3by30poems #napowrimo #मोमबत्तीprompt #yqdidi #yqsayyed