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दिल और दिमाग की लड़ाई में, मैं दिल की तरफ अड़ा रहा..

दिल और दिमाग की लड़ाई में,
मैं दिल की तरफ अड़ा रहा..!

गरीब रहा जीवन भर बेशक,
दिल से काफ़ी बड़ा रहा..!

लूटना ग़म खुशियाँ लुटाना,
ये फ़ितूर सिर पर चढ़ा रहा..!

सफर ज़िन्दगी का मुश्किल,
मैं राह-ए-ग़म पे पड़ा रहा..!

दिमाग़ी छल से दिल का बड़प्पन,
पर काफ़ी हद तक कड़ा रहा..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Hum #dilaurdimag