अभी तो मैं खिल रही गुलाब थी अभी कुछ वक्त हुआ था देखे जहान को, छः साल कि थी मैं ना कुछ में जानती, जब तक समझ आता मुझको ले ली उसने मेरी जान थी, क्या कसूर था जो मेरा, कोई तो मुझे बतलाएं, अभी तो मुझे मिलने लगी पहचान थी क्या कसूर था मेरा जो उसने ले ली मेरी जान थी । #Writing,Poem dil ki baat, Behalf of Child Rape Victim