हमारी अधूरी कहानी, कब मिलें कब हुए जुदा। मुझे तो नहीं हैं पता, बस तू ही बता दें मेरे खुदा।। बन कर हमसफ़र मेरा, कुछ कदम तुम साथ चलें। जब थी मैं तन्हा अकेली, तुम मेरा हाथ थाम चलें।। मेरी हर मुस्कान के पीछे, तेरी बेपनाह मोहब्बत थीं। तू साया बन संग रहा, हर पल पर बस तेरी चाहत थीं।। ख़ामोशी पढ़ लो तुम, बरसात में कर लो आंसुओं की पहचान। जितना समझ ना पायी ख़ुद को, पर मुझको समझ गए तुम जान।। संग जीने मरनें की कसमें खायी, कियें थें हमने भी कुछ वादें। पल भर में क्यों सब तोड़ दियें, क्या कमी रह गई थी मेरे सहजादें।। छोड़ चलें तुम मुझको क्यों, क्यों बरबाद कर दिए मेंरी जिंदगानी। ना हों पाई दास्तां पुरी साहिब, रह गई अपनी नेह अधूरी कहानी ।। #अधूरी_कहानी #new_challenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is *अधूरी कहानी*