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मसालेदार लेखनी के दीवाने बहुत हैं ऊपर से भोले अंदर

मसालेदार लेखनी के दीवाने बहुत हैं
ऊपर से भोले अंदर में सयाने बहुत हैं
वाह क्या आनंद विभोर होते पढ़कर
जैसे पा गए कुबेर के खज़ाने बहुत हैं
मसालेदार लेखनी.......
कर्महीन ख़्वाब की बयार चल पड़ी है
चाहतों की लिस्ट लंबी पाले बहुत हैं
गुरु का गुरु चेला वन वन भटकता है
प्रवचन के अंदाज़ इनके निराले बहुत हैं
मसालेदार लेखनी........
कवियों की तो जैसे अब भरमार हो गई
लेखनी में टूटे बिखरे दिलवाले बहुत हैं
सत्य से दूर दूर तक रिश्ता नहीं लेखन का
अजब गजब "सूर्य" भ्रम के जाले बहुत हैं
मसालेदार लेखनी.........

©R K Mishra " सूर्य "
  #लेखनीकीअभिव्यक्ति  Mili Saha भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Anshu writer Ashutosh Mishra Kanchan Pathak