अज़ीज़ इतना कि सांसों को भी उसकी रजामंदी की है आस दूर इतना है कि क्षितिज के जैसे होता सिर्फ होने का आभास ये कैसी है रिश्तों की रिहाईश ,जो न मिले उसकी ही ख्वाहिश जो प्राप्त है, बहुत आम है,मन न मिलने वाले का ही गुलाम है हर वो शख्स बहुत खास है, जिसके खो सकने का एहसास है #jayakikalamse #rzpicprompt1952 #yqrestzone #restzone #collabwithrestzone #yqrz #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with Rest Zone