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कितनी अजीब कश्मकश है जिंदगी की… इंसान सोचता है उड़न

कितनी अजीब कश्मकश है जिंदगी की…
इंसान सोचता है उड़ने को पर मिले और परिंदें सोचते है रहने को घर मिले…! शायद जिंदगी की यही रीत है।
कितनी अजीब कश्मकश है जिंदगी की…
इंसान सोचता है उड़ने को पर मिले और परिंदें सोचते है रहने को घर मिले…! शायद जिंदगी की यही रीत है।
rahulverma5967

RAHUL VERMA

New Creator

शायद जिंदगी की यही रीत है।