निगाहें और नशा वो मतवाली निगाहें नशा से भरी हैं। जिंदगी भी सजा से भरी हैं। हम तो बस यूँ ही निहार रहे थे उन नैनों को, बताओ हमने खता क्या करी है।। कवि रामदास गुर्जर #निगाहे#नशा