वो शाम अंधेरी नहीं कुछ सांवली सी थी आसमान साफ था रास्ते धुंधली सी थी।। वो चांद जो ठहरा था आसमान कि गोद में हाथों तले आसमान की छोटी उंगली सी थी।। इंसान तो हठठे कठठे से थे पर उनकी सोच कुछ दुबली सी थी।। वो सादे से दिल की छाया कुछ बदली बदली सी थी।। उनकी अच्छाई का तो पता नहीं पर उनकी बुराइयां कुछ असली सी थी।। वो दिखते तो बहुत सीधे से थे पर उनकी आंखे कुछ जंगली सी थीं।। पूरी काया तो बदल ली किसी सहारे पर रूह अभी भी कुछ नकली सी थी।। #नकली