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आज मेरी सुबह बहुत उदास लग रही थी, खिड़कियों के सहा

आज मेरी सुबह बहुत उदास लग रही थी,
खिड़कियों के सहारे, धूप की चादर ताने,
मेरे छोटे से कमरे मे आकर वो खड़ी थी,
आज मेरी सुबह बहुत उदास लग रही थी|
जब खिड़कियों से झाँका मैने,
आज बुलबुल भी हुँकार ना भर रही थी,
आज कोयले भी कुह-कुह ना कर रही थी,
आज पत्तियाँ भी उमंगो मे ना झूल रही थी,
आज बस ख़ामोशी चारो ओर बिखरी पड़ी थी,
आज मेरी सुबह बहुत उदास लग रही थी|
तभी सहसा हवाओ का एक संवादहीन शोर आया,
उसने पुरानी यादों के लहुलुहान जिस्म पर
अपना पूरा हक दिखाया,
आज वो सारी धुंधली यादें
साफ़ साफ़ मेरे सामने खड़ी थी,
आज मेरी सुबह बहुत उदास लग रही थी | आज मेरी सुबह बहुत उदास लग रही थी  # poetrylove
#yaadein
आज मेरी सुबह बहुत उदास लग रही थी,
खिड़कियों के सहारे, धूप की चादर ताने,
मेरे छोटे से कमरे मे आकर वो खड़ी थी,
आज मेरी सुबह बहुत उदास लग रही थी|
जब खिड़कियों से झाँका मैने,
आज बुलबुल भी हुँकार ना भर रही थी,
आज कोयले भी कुह-कुह ना कर रही थी,
आज पत्तियाँ भी उमंगो मे ना झूल रही थी,
आज बस ख़ामोशी चारो ओर बिखरी पड़ी थी,
आज मेरी सुबह बहुत उदास लग रही थी|
तभी सहसा हवाओ का एक संवादहीन शोर आया,
उसने पुरानी यादों के लहुलुहान जिस्म पर
अपना पूरा हक दिखाया,
आज वो सारी धुंधली यादें
साफ़ साफ़ मेरे सामने खड़ी थी,
आज मेरी सुबह बहुत उदास लग रही थी | आज मेरी सुबह बहुत उदास लग रही थी  # poetrylove
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sanskriti5813

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