लगता है कि कुछ तलाश रहा हूं मैं, उन गलियों, खेतों और, नदी की आवाज में, जिन्हें बहुत पहले छोड़ आया था, शहर जाने की होड़ में, बिखर गया जब, सब कुछ, तो शायद , समेटने आया हूं मैं, सन्नाटा पसरा है उन खेतों में, जो बचपन में मैदान हुआ करते थे, सन्नाटा है उस नदी की आवाज में भी, जिसकी आवाज़ से बचपन मे, अक्सर नींद आया करती थी, क्यूं सब बदल गया, और अजनबी हो गए सब रास्ते, जिनके हर पत्थर की अलग पहचान हुआ करती थी, एक अरसा.... #nojoto#love#poems#of#life#true#incident