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#OpenPoetry डरती हूँ मैं तुझ जैसे शहर से क्योंकि त

#OpenPoetry डरती हूँ मैं तुझ जैसे शहर से
क्योंकि तुम मेरी इश्क़ के शहर हो,
खुश हूँ मैं अपनी काली सबब से
जिसमें तुम मेरी कलम से उस सबब में ब्यां हो,
कर देती हूँ सालों की बीती बातों का इकरार  अपनी कलम के जुबां से,
ये काली सबब तो अच्छा है मगर तुझ जैसे शहर में आना चहती हूँ; 
और शहर से सबब तक बस तुझ में जीना चाहती हूँ। #OpenPoetry #nojotonews#communitywriter#shayri#nojotolover
#OpenPoetry डरती हूँ मैं तुझ जैसे शहर से
क्योंकि तुम मेरी इश्क़ के शहर हो,
खुश हूँ मैं अपनी काली सबब से
जिसमें तुम मेरी कलम से उस सबब में ब्यां हो,
कर देती हूँ सालों की बीती बातों का इकरार  अपनी कलम के जुबां से,
ये काली सबब तो अच्छा है मगर तुझ जैसे शहर में आना चहती हूँ; 
और शहर से सबब तक बस तुझ में जीना चाहती हूँ। #OpenPoetry #nojotonews#communitywriter#shayri#nojotolover