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न सावन आया है न हरियाली तीज आयी है । फिर ये ज़ख्म

न सावन आया है
न हरियाली तीज आयी है । 

फिर ये ज़ख्म किस बात पे
हरे हो रहे हैं ।।

©TubeLight Morning Shayari
न सावन आया है
न हरियाली तीज आयी है । 

फिर ये ज़ख्म किस बात पे
हरे हो रहे हैं ।।

©TubeLight Morning Shayari
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