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तुम मुझसे क्या आंख मिलाओगे खुद धूल धूल हो जाओगे

  तुम मुझसे क्या आंख मिलाओगे
खुद धूल धूल हो जाओगे
मैं हूं पर्वत का दुरूह शिखर 
मुझे नहीं छू पाओगे 
  मैं अविरल जल का हूं गुप्त श्रोत
तुम मुझसे पार न पाओगे
यह अहंकार सा लगता है
पर अहंकार से हटकर है 
संघर्ष झेल कर इस पथ पर
मैं कैसे पहुंचा हूं डटकर
उम्र गुजर जायेगी तुम्हरी
    तुम इसको समझ न पाओगे ।।

©Sarvesh Rockstar
  #सर्वेश_की_शायरी