यह प्रकाश जी कामातं्"""बॉलीवुड व भारत के सबसे बेस्ट बैंड"कैलाशा"के संचालक के "सुफी गायक कैलाश खैर "जी के साथ जब मेरी मुलाकात हुई "जब एक सामान्यत मुझ नादान को गले लगाया वही से "उनकी महानता का परिचय हो गया",,,,,,जब कोई व्यक्ति अपने संघर्षो के बलबुते मुकाम हासिल करता है तो """उसे लेशमात्र"भी अभिमान नही रहता है,,,,,,क्योकि वे इंसानियत के प्रेम को समझते है,,,,,,,,मै बहुत शुक्रगुजार हुँ कि""कैलाश जी खैर (बाहुबली फिल्म के गाने "क्या कभी अंम्बर से,सुर्य बिछजता है,,,, अल्लाह के बँदे सुनले ,,,आदि हजारो गाने गाकर अपनी जिदंगी मे चार चाँद लगाये"से मिला और जब उनसे प्रश्न पुछा की जिदंगी क्या है तब बताया कि"""कुदरत का उपहार व संघर्षो का सफर",,,,,, ओम भक्त मोहन कलम मेवाड की Ñîhâľ Tiwari