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पता ही नहीं चला...... जिंदगी की इस आपाधापी में, कब

पता ही नहीं चला......
जिंदगी की इस आपाधापी में,
कब जिंदगी की सुबह से शाम हो गई,
कल तक जिन मैदानों में खेला करते थे,
आज वो मैदान नीलाम हो गए,
रूह आज भी बचपन में अटकी,
बस शरीर जवान हो गया।
जिंदगी की हर सांस जीने वाला,
कब जिंदगी जीना भूल गया, पता ही नहीं चला।
सो रहा था मां की गोद में चैन की नींद,
कब नींद उड़ गई 
मीलों का सफर कब तय कर लिया,
जिंदगी का सफर कब रुक गया,

पता ही नहीं चला......
:- नरेन्द्र वर्मा

 पता ही नहीं चला......

जिंदगी की इस आपाधापी में,
कब जिंदगी की सुबह से शाम हो गई,

कल तक जिन मैदानों में खेला करते थे,
आज वो मैदान नीलाम हो गए,
रूह आज भी बचपन में अटकी,
पता ही नहीं चला......
जिंदगी की इस आपाधापी में,
कब जिंदगी की सुबह से शाम हो गई,
कल तक जिन मैदानों में खेला करते थे,
आज वो मैदान नीलाम हो गए,
रूह आज भी बचपन में अटकी,
बस शरीर जवान हो गया।
जिंदगी की हर सांस जीने वाला,
कब जिंदगी जीना भूल गया, पता ही नहीं चला।
सो रहा था मां की गोद में चैन की नींद,
कब नींद उड़ गई 
मीलों का सफर कब तय कर लिया,
जिंदगी का सफर कब रुक गया,

पता ही नहीं चला......
:- नरेन्द्र वर्मा

 पता ही नहीं चला......

जिंदगी की इस आपाधापी में,
कब जिंदगी की सुबह से शाम हो गई,

कल तक जिन मैदानों में खेला करते थे,
आज वो मैदान नीलाम हो गए,
रूह आज भी बचपन में अटकी,
krishvj9297

Krish Vj

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