कौन आया रास्ते आईना-ख़ाने हो गए रात रौशन हो गई दिन भी सुहाने हो गए क्यूँ हवेली के उजड़ने का मुझे अफ़्सोस हो सैकड़ों बे-घर परिंदों के ठिकाने हो गए जाओ उन कमरों के आईने उठा कर फेंक दो बे-अदब ये कह रहे हैं हम पुराने हो गए ये भी मुमकिन है कि मैंने उस को पहचाना न हो अब उसे देखे हुए कितने ज़माने हो गए पलकों पर ये आँसू प्यार की तौहीन थे आँखों से गिरे मोती के दाने हो गए ©Khan Babu #Khankishayri #Advance