बताऊं कैसे डूबते को तिनके का सहारा, उथल-पुथल लहरों में नाविक को उस पतवार का सहारा, अंधियारी पथ में राहगीरो को उस दीपक का सहारा या बेस्वाद,बेजान,बेसुद्ध, जिंदगी में , वो मजबूत बंधन, वो अटूट विश्वास, वो बेमतलब की बेहिसाब वफादरियों का , जिंदगी-ए-अंधकार को , जिदंगी-ए- जन्नत बनाने का सहारा, तकदीर के अमीरो को ही मिलती हैं.... मैंने इन तमाम साहरों को दोस्ती-ए-ज़िन्दगी नाम दिया है, जाते जाते एक और बात कहना चाहूंगा कि , #दहलीज़ पर मेरे वो लोग बहार बनकर आगये, वीराने से तैख़ाने में वो रोशनि बनकर छा गए, अरे,खुदा मेहरबान है मुझ पर, इस ज़िंगदी मे ये फरिस्ते भेज, #जो मुझे पैसो से नही ,दोस्ती की तकदीर का धनी बना गए.... #Mic