शिक्षा में अच्छा परिणाम बना,उच्च शिक्षा भी पूर्ण करायी आपने, किन्तु जब विश्वास कर उसे स्वतंत्रता देने की बात आयी तब आपकों समाज़ के अमर्यादित नियम याद आ गयें.. क्षमा मान्यवर !अगर पढा़ -लिखा कर जीवन भर घर में रोटी बेलना,झाडू -पोछा करना ,बच्चों का देखभाल करना ही है तो यह सब अनपढ़ रह कर भी किया जा सकता है, और इसलिए आपने उसके शिक्षा में जो अर्थ व्यय किया है वो आपका एक भिभत्स क्षति है, और यह क्षति जान बूझकर किया गया,इसलिए संसार के सबसे बडे़ मूर्ख भी आप ही हुयें..!! #हर घर की यही कहानी है,बेटी पढा़ लिखा तो दिया लेकिन उस पर थोपा क्या गया वही प्राचीनता वाले कार्य ..!!